समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाले समुद्र विज्ञानी (ओशनोग्राफर) कहलाते हैं।
इनके कार्य में नमूने चुनना, सर्वे करना और अत्याधुनिक उपकरणों से आँकड़ों का आकलन करना शामिल है। इसके साथ ही इन्हें पानी के घुमाव और बहाव की दिशा, उसकी भौतिक और रसायनिक सामग्री के आकलन का कार्य भी करना होता है। इसके साथ ही इन्हें यह समझना होता है कि इन सबका तटीय इलाकों, वहां के मौसम और जलवायु पर क्या असर होता है। इस क्षेत्र से ज्यादातर रसायनज्ञ, भौतिकविद, जीवविज्ञानी और जंतुविज्ञानी जुड़े रहते हैं, जो अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल समुद्र अध्ययन में करते हैं।
समुद्र विज्ञान में थोड़ा अनुभव और विशेषज्ञता प्राप्त कर लेने पर इसकी विशिष्ट शाखाओं में काम करना होता है। ये शाखाएँ हैं।
यहां पानी के संयोजन और गुणवत्ता का आकलन होता है। यह समुद्र की तलहटी में होने वाले रासायनिक अभिक्रियाओं पर नजर रखते हैं। इनका लक्ष्य ऐसी तकनीक भी खोज निकालना है जिससे समुद्र से महत्वपूर्ण बातें पता लगाई जा सकें। बढ़ते प्रदूषण के चलते इनके काम की चुनौतियां और बढ़ती जा रही हैं।
भूगर्भीय (जियोलॉजिकल) और भूभौतिकीय (जियोफिजिकल) समुद्र विज्ञानी समुद्र के सतह की वास्तविक स्थिति का पता लगाते हैं। समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले खनिजों की जानकारी भी इसी के सहारे जानी जाती है। यही लोग पता लगाते हैं कि समुद्र की भीतरी चट्टानें किस तरह और कितने समय के अंतराल में बनी हैं।
यह समुद्र और महासागर के अध्ययन की विधा है। भौतिक समुद्र विज्ञानी, तापमान, लहरों की गति व चाल, ज्वार, घनत्व और धारा का पता लगाते हैं। यह ऐसा कार्यक्षेत्र है जहां समुद्र, मौसम और जलवायु तीनों का जुड़ाव होता है।
यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां समुद्री वातावरण का अध्ययन किया जाता है। ये समुद्र से प्राप्त होने वाले पदार्थो जैसे जहाज के टुकड़े, कब्रें, इमारतें, औजार और मिट्टी के पात्रों का अध्ययन भी करते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वालों की पुरातत्व (आर्कियोलॉजी) या नृविज्ञान(एंथ्रोपोलॉजी) की पृष्ठभूमि होना आवश्यक है। इस शाखा का मूल काम महासागर और तटीय संसाधनों का सही उपयोग करना है।
विज्ञान विषयों में स्नातक लोग समुद्र विज्ञान के पाठ्यक्रम में दाखिला ले सकते हैं। इसके हर क्षेत्र में गणित की जरूरत पड़ती है। लेकिन समुद्री अन्वेषण के लिए स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट की उपाधि होना जरूरी है। इसके अधिकतर पाठ्यक्रम तीन वर्षीय होते हैं।
इस काम को करने के लिए समुद्र में लंबा वक्त गुजारना पड़ सकता है। इसके लिए मानसिक स्तर पर मजबूती की जरूरत होती है। महासागरों के बारे में जानने और नया खोजने की उत्सुकता, सी वर्दीनेस (ओशन सिकनेस न होना), शारीरिक क्षमता, सहनशीलता, अकेलेपन और बोरियत के बीच मानसिक संबल बनाए रखना, टीम में काम करने के लिए सही माहौल बनाए रखना आवश्यक है। इन सबके अलावा तैराकी और ग़ोताख़ोरी में प्रशिक्षित होना यहां की प्राथमिक योग्यताओं में शामिल है।
समुद्र विज्ञानी निजी, सार्वजनिक और कई सरकारी संस्थानों में वैज्ञानिक, इंजीनियर या तकनीशियन के रूप में नौकरी पा सकते हैं। सरकार से जुड़े भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग (जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया), मेटिरियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और समुद्र विज्ञान विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ ओशनोग्राफी) में विविध संभावनाएं मौजूद हैं। निजी क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों, सागरीय उद्योग (मरीन इंडस्ट्री) या इस क्षेत्र से जुड़ी शोध संबंधी संस्थाओं में भी रोजगार के अवसर होते हैं।
स्नातकोत्तर के बाद इस क्षेत्र में शुरुआत करने पर सरकारी क्षेत्र में 6-8 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिलता है, जबकि निजी क्षेत्र में यह थोड़ा ज्यादा हो सकता है। पीएचडी डिग्रीधारियों के लिए यहां 10-12 हजार रुपए से शुरुआत हो सकती है।
आईआईटी, मद्रासमुंबई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मुंबईकोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, कोचीनअन्नामलई यूनिवर्सिटी, चिदंबरम, तमिलनाडुबेरहामपुर यूनिवर्सिटी, बेरहामपुर, उड़ीसा