हूलोक गिबन
हूलोक गिबन (hoolock gibbon) गिबन के चार जीववैज्ञानिक वंशों में से एक है। इसमें दो जीववैज्ञानिक जातियाँ आती हैं और इसके सदस्य पूर्वोत्तरी भारत, दक्षिणपूर्वी चीन के युन्नान प्रान्त, पूर्वी बांग्लादेश और बर्मा में विस्तृत हैं। सियामंग के बाद यह दूसरे सबसे बड़े आकार का गिबन होता है।
हूलोक गिबन Hoolock gibbon | |
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मिज़ोरम, भारत में एक मादा हूलोक | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammal) |
गण: | नरवानर (Primate) |
अधिकुल: | कपि (Hominoidea) |
कुल: | हायलोबैटिडाए (Hylobatidae) |
वंश: | हूलोक (Hoolock) मूटनिक और ग्रोव्स, २००५ |
जातियाँ | |
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हूलोक गिब्बन की दोनों जातियों का वितरण |
शरीर व जीवनक्रम
हूलोक ६० से ९० सेमी लम्बे होते हैं और सभी कपियों की भांति इनकी भी कोई पूँछ नहीं होती है। इनका वज़न ६ से ९ किलोग्राम का होता है। नर और मादाओं में आकार समान ही होता है लेकिन इनकी रंगत अलग होती है। नर काले होते हैं और इनकी आँखों की भौं अलग-सी श्वेत दिखती हैं जबकि मादाएँ भूरा-खाकी रंग रखती हैं जो गर्दन व छाती पर गाढ़ा और काला-सा होता है। आँखों और मुँह के इर्द-गिर्द बने श्वेत चक्र उन्हें नकाब जैसा लगवाते हैं।
हूलोक जीवनभर के लिये एक जीवन-साथी ढूंढ लेते हैं और यह जोड़ा वन में अपना एक क्षेत्र बना लेता है जहाँ वह अन्य गिबनों को आने नहीं देता। दिन भर यह बोलकर आसपास के पारिवारिक सदस्यों से सम्पर्क रखते हैं और अन्य गिबनों को अपने क्षेत्र में प्रवेश न करने की चेतावती भी देतें हैं। सभी गिबनों की तरह वे दिन को सक्रीय होते हैं और रात्रि में विश्राम करते हैं। दिन में वृक्षों में घूमकर वे फल, पत्ते और कीट खाते हैं।
प्रजनन में मादा ७ मास का गर्भ धारण करती है और शिशु श्वेत या भूरे बालों के साथ जन्म लेतें हैं। जन्म लेनें के ६ मास के बाद नरों का रंग काला होने लगता है लेकिन मादाओं का रंग भूरा ही रहता है। ८ से ९ वर्षों में वे पूरी तरह बड़े हो जाते हैं। वन में अपनी प्राकृतिक अवस्था में इनका औसत जीवनकाल लगभग २५ वर्ष है।
भारत में विस्तार
पूर्वोत्तर भारत में हूलोक ब्रह्मपुत्र नदी से दक्षिण और दिबांग नदी से पूर्व में मिलता है।[1] यह सात राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नागालैण्ड और त्रिपुरा - में विस्तृत है। भारत में हूलोक गिबन की दोनों जातियाँ पाई जाती हैं।[2][3]