महाभारत के द्वितीय पर्व, सभा पर्व, के अन्तर्गत कुल १० उपपर्व और ८१ अध्याय हैं।
सभा पर्व में देवशिल्पी विश्वकर्मा द्वारा इन्द्रप्रस्थ का निर्माण तथा मय दानव द्वारा युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण, देवर्षि नारद द्वारा विभिन्न लोकपालों की सभाओं का वर्णन, देवर्षि नारद के कहने पर युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, जरासन्ध की कथा तथा उसका वध, पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, शिशुपालवध, दुर्योधन तथा शकुनि द्वारा द्युतक्रीडा का आयोजन, युधिष्ठिर की उस द्यूत में हार और पाण्डवों का वनवास आदि वर्णित है।
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