सफ़्फ़ारी राजवंश (फ़ारसी: صفاریان, अंग्रेज़ी: Saffarids) सीस्तान क्षेत्र से उत्पन्न एक मध्यकालीन राजवंश था जिसने पूर्वी ईरान, ख़ुरासान, अफ़ग़ानिस्तान व बलोचिस्तान पर ८६१ ईसवी से १००२ ईसवी तक राज किया। इस राजवंश की नीव याक़ूब बिन लैथ़ अस-सफ़्फ़ार ने रखी जो एक स्थानीय अय्यार (लड़ाका) था। उसके पिता लैथ़ ताम्बे का काम करते था जिसे व्यवसाय को फ़ारसी भाषा में 'सफ़्फ़ार' कहते हैं, लेकिन उसने यह पारिवारिक पेशा छोड़कर अय्यारी शुरू कर दी। उसने इस्लाम के नाम पर पहले सीस्तान क्षेत्र और फिर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़ा कर लिया।
साम्राज्य का विस्तार
सफ़्फ़ारियों ने ज़रंज शहर को अपनी राजधानी बनाया जो आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित नीमरूज़ प्रान्त में है। यहाँ से वे पूर्व और पश्चिम दोनों ओर फैले। पहले उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के हिन्दू कुश पर्वतों में हिन्दू-बौद्ध क्षेत्रों पर हमला बोला, जिसमें पहले ज़मीनदावर, ज़ूनबील और काबुल और फिर बामियान, बल्ख़, बादग़ीस और ग़ोर शामिल थे। इन अभियानों में उसने बहुत धन लूटा और बहुत से स्थानीय लोगों को बेचने के लिए गुलाम बना लिया।[1][2] ८७३ ईसवी में उसने ईरानी-मूल के ताहिरी राजवंश ख़ुरासान छीन लिया। जब तक याक़ूब का देहांत हुआ, वह काबुल वादी, सिंध, तुषारिस्तान, केरमान, फ़ार्स और ख़ुरासान ले चुका था। उसने बग़दाद भी पहुँचने की कोशिश करी लेकिन अब्बासी ख़िलाफ़त द्वारा हराया गया।[3] सफ़्फ़ारियों ने अपने राज्य में हमेशा फ़ारसी भाषा और ईरानी संस्कृति को बहुत बढ़ावा दिया।
साम्राज्य का पतन
याक़ूब की मौत के बाद सफ़्फ़ारी साम्राज्य ज़्यादा दिन चल न सका। उसका उत्तराधिकारी उसका भाई आम्र बिन लैथ़ था जिसे ९०० ईसवी में सामानी साम्राज्य के इस्माइल सामानी ने बल्ख़ में हरा दिया और अपने अधिकतर क्षेत्र को सामानियों के हवाले देने के लिए विवश कर दिया। इसके बाद सफ़्फ़ारी अपने सीस्तान की मातृभूमि तक सीमित रह गए और सामानियों के अधीन वहीं के स्थानीय राजा बनकर रह गए। सन् १००२ में महमूद ग़ज़नवी ने सीस्तान पर हमला किया और ख़लफ़ प्रथम को सिंहासन से हटाकर सफ़्फ़ारी राजवंश का अंत कर दिया।[4]