सच्चा झूठा | |
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सच्चा झूठा का पोस्टर | |
निर्देशक | मनमोहन देसाई |
लेखक | प्रयाग राज (संवाद) |
कहानी | जीवनप्रभा देसाई |
निर्माता | विनोद दोषी |
अभिनेता | राजेश खन्ना, मुमताज़, विनोद खन्ना |
संगीतकार | कल्याणजी-आनंदजी |
प्रदर्शन तिथियाँ | 1 मई, 1970 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
सच्चा झूठा 1970 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया था और इस फिल्म में राजेश खन्ना एक साधारण ग्रामीण के रूप में नजर आते हैं, जबकि उनका हमशक्ल एक बदमाश है। इसमें मुमताज़ और विनोद खन्ना भी हैं। संगीत कल्याणजी आनंदजी का है। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर रही थी। राजेश खन्ना के प्रदर्शन को समीक्षकों द्वारा सराहा गया और उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता।
भोला (राजेश खन्ना) एक निर्दोष बैंड संगीतकार है, जो एक गाँव में अपनी विकलांग बहन बेलू के साथ रहता है। उसे अपनी बहन की शादी के लिए अधिक धन की आवश्यकता है और इसलिये वह बम्बई रवाना हो जाता है। दूसरी ओर, बम्बई पुलिस विभाग हीरे की चोरियों से हैरान है। वो चोर कोई सुराग नहीं छोड़ता है। लेकिन इंस्पेक्टर प्रधान (विनोद खन्ना) को रंजीत (राजेश खन्ना) पर शक होता है, जो वास्तव में एक धनी हीरा व्यापारी है। लेकिन उसके पास कोई सबूत नहीं है। वह रंजीत को आकर्षित करने के लिए, और उसकी गुप्त योजनाओं को जानने के लिए रीटा (मुमताज़) के साथ एक योजना बनाता है। भोला शहर आता है और उसे एक पार्टी में रंजीत कहा जाता है। पार्टी में पहुँचने वाला रंजीत, भोला को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है, क्योंकि वह उसके जैसा ही दिखता है। वह तुरंत एक योजना की कल्पना करता है। वह भोला को समाज के सामने रंजीत की तरह व्यवहार करने के लिए मना लेता है। वह यह भी वादा करता है कि वह उसकी बहन की शादी के लिए पैसे देगा। मासूम भोला उसकी बात मान जाता है।
रंजीत की प्रेमिका रूबी, भोला को रंजीत की तरह बनने की ट्रेनिंग देती है। भोला अंततः रंजीत के हर तरीके को सीखता है। वह शहर में रंजीत के रूप में व्यवहार करता है और असली रंजीत अपने गलत काम को जारी रखता है। रीटा, भोला के पास रंजीत समझकर जाती है, लेकिन भोला को उससे प्यार हो जाता है। गाँव में, भारी बाढ़ के कारण, बेलू अपना सब कुछ खो देती है और अपने कुत्ते मोती के साथ अपने भाई की तलाश में बंबई आती है। भोला सड़क पर एक शादी समारोह देखता है और वह दुल्हन को अपनी बहन होने की कल्पना करता है और उसी गीत को गाता है जिसे वह गाँव में गाता था। बेलू, जो उसे सुनती है, उस जगह पर पहुँचती है, लेकिन भोला पहले ही वहाँ से निकल चुका होता है। बेलू को कुछ पुरुषों द्वारा उसके भाई के ठिकाने के बारे में गुमराह किया जाता है और उसका शोषण करने की कोशिश की जाती है, लेकिन प्रधान उसे बचाता है और उसे अपने घर ले जाता है। रूबी, जो बेलू का प्रधान के घर तक पीछा करती है, रंजीत को उसके बारे में बताती है। रंजीत, उसके भाई की तरह बनकर, प्रधान के घर जाता है और उसे अपने साथ ले आता है।
भोला को पता लगता है कि रंजीत वास्तव में एक चोर है और एक हीरे की लूट की योजना बना रहा है। भोला योजना का विरोध करता है, लेकिन रंजीत उसे उसकी बहन के साथ ब्लैकमेल करता है। अनिच्छा से, वह योजना को स्वीकार करता है। रंजीत ने बड़ी मात्रा में हीरे चुराए, लेकिन भोला उस पर हमला करके उसे हटा देता है और उस जगह को छोड़ देता है। चोरी हुए हीरे के टुकड़ों में से एक में एक ट्रांसमीटर होता है और पुलिस इसकी मदद से उनका पीछा करती है। बेलू उलझन में होती है कि उनमें से उसका भाई कौन है। कई झगड़े के बाद, भोला और रंजीत दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। दोनों खुद को भोला बताते हुए सभी को भ्रमित करते हैं। बेलू का सुझाव ओता है कि उसका भाई एक गीत गाता है जिसे कोई और नहीं गा सकता है। लेकिन दोनों गाना गा देते हैं। अंत में भोला और बेलू का कुत्ता मोती असली भोला की पहचान करता है और रंजीत को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाता है। बेलु अंत में इंस्पेक्टर प्रधान से शादी करती है और भोला रीटा से शादी करता है।
सभी कल्याणजी-आनंदजी द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "कर ले प्यार कर ले" | गुलशन बावरा | आशा भोंसले | 4:57 |
2. | "दिल सच्चा और चेहरा झूठा" | इंदीवर | किशोर कुमार | 4:02 |
3. | "मेरी प्यारी बहनिया" | इंदीवर | किशोर कुमार | 4:39 |
4. | "यूँ ही तुम मुझसे" | इंदीवर | मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | 4:17 |
5. | "कह दो कह दो" | क़मर जलालाबादी | किशोर कुमार, लता मंगेशकर | 4:49 |
6. | "मेरी प्यारी बहनिया" (II) | इंदीवर | किशोर कुमार | 1:59 |
मनमोहन देसाई निर्देशित फ़िल्म | |
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जनम जनम के फेरे (1957) * छलिया (1960) * ब्लफ़मास्टर (1963) * बदतमीज़ (1966) * किस्मत (1968) * सच्चा झूठा (1970) * शरारत (1972) * भाई हो तो ऐसा (1972) * रामपुर का लक्ष्मण (1972) * आ गले लग जा (1973) * रोटी (1974) * धरम वीर (1977) * चाचा भतीजा (1977) * अमर अकबर अॅन्थनी (1977) * परवरिश (1977) * सुहाग (1979) * नसीब (1981) * देश प्रेमी (1982) * कुली (1983) * मर्द (1985) * गंगा जमुना सरस्वती (1988) |