विधिक जागरूकता

विधिक जागरूकता (अंग्रेज़ी: Legal awareness) अथवा विधिक साक्षरता से आशय जनता को कानून से समब्न्धित सामान्य बातों से परिचित कराकर उनका सशक्तीकरण करना है।[1] विधिक जागरूकता से विधिक संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, कानूनों के निर्माण में लोगों की भागीदारी बढ़ती है और कानून के शासन की स्थापना की दिशा में प्रगति होती है।[2][3]

रायगड़ में विधिक जागरुकता का शिविर

पहले 'विधिक रूप से साक्षर' होने का अर्थ था - 'कानूनी दस्तावेजों, विचारों, निर्णयों, कानूनों आदि को लिख/पढ़ पाने की क्षमता'। किन्तु अब इसका अर्थ कानून से सम्बन्धित इतनी क्षमता से है जो किसी कानूनी समाज में अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए जरूरी हो।

विधिक निरक्षरता से होने वाली कुछ हानियाँ-

  • विधिक निरक्षर व्यक्ति कानून से भय खाता है और उससे दूर भागता है।
  • विधिक निरक्षर व्यक्ति अनजाने में कानून के विपरीत आचरण कर सकता है या कानून से सहायता प्राप्त करने में अक्षम होता है।
  • विधिक रूप से निरक्षर व्यक्ति अपने विधिक अधिकारों का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता।

विधिक साक्षरता - क्या और कैसे

वास्तव में वादकारी को योग्य न्यायाधीशों, सुसज्जित न्याय कक्षों, विद्वान अधिवक्ता समुदाय एवं न्यायिक मीमांशा से कोई सरोकार नहीं होता है, बल्कि उसकी स्थिति एक बीमार व्यक्ति की तरह होती है जो शीघ्र से शीघ्र इस बीमारी से निदान पाना चाहता है। विधिक कहावत यह है कि कानून के प्रति अनभिज्ञता कोई बचाव नहीं है। अर्थात जैसे ही कोई कानून प्रभाव में आता है, यह अवधारणा स्थापित हो जाती है कि प्रत्येक संबंधित जन को इस कानून की जानकारी है, जबकि व्यवहारिक पहलू भिन्न है।

उदाहरण के लिए सड़कों पर अज्ञात वाहन से दुर्घटना हो जाना आम बात हो गयी है। ऐसी घटना को मोटर वाहन अधिनियम के अन्तर्गत ’’हिट एण्ड रन’’ के रूप में प्राविधानित किया गया है और पीड़ित पक्षकार को अनुतोष धनराशि उपलबध कराने की व्यवस्था की गयी है, परन्तु इस प्राविधान की जानकारी न होने के कारण प्रायः इस प्राविधान का लाभ दुर्घटना से प्रभावित व्यक्ति नहीं उठा पा रहा है। अतः जनमानस में प्रचार-प्रसार के द्वारा अद्यतन विधि विधानों से आम जनता को अवगत कराया जाना विधिक साक्षरता कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की व्यवस्था के अनुसार विधिक सेवा कार्यक्रम के अंतर्गत न केवल कमजोर व्यक्तियों को विधिक सेवा उपलब्ध कराया जाना शामिल है, बल्कि भारत के सुदूर एवं ग्रामीण अंचलों में कैम्प लगाकर आम जनता को विभिन्न विधिक प्राविधानों से अवगत कराते हुऐ उन्हें विधिक रूप से साक्षर बनाना भी विधिक सेवा कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है, जिसे विधिक साक्षरता कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

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