लीफ़ एरिक्सन |
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![](//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/7/7f/Viking_at_MN_Capitol.jpg/225px-Viking_at_MN_Capitol.jpg) मीनेसोटा के कैपिटल मे लीफ़ की मूर्ति |
जन्म | ९७० संभवतया आईस्लैंड |
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मौत | १०२० संभवतया ग्रीनलैंड |
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प्रसिद्धि का कारण | विनलैंड का अन्वेषण (उत्तरी अमेरिका का भाग, संभवतः न्युफ़ाउन्डलैंड) |
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साथी | थौरगुना |
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बच्चे | थौरगिल्स, थौरकेल |
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लीफ़ एरिक्सन .[1]}} (आईसलैंडिक Leifur Eiríksson) एक आईस्लैंडिक् अन्वेषक थे। माना जाता है कि लीफ़ ऐसे पहले युरोपीय थे जिन्होने उत्तरी अमेरिका पर कदम रखा, क्रिसटोफ़र कोलमबस से ५०० वर्ष पहले[2]। "सागास ओफ़ आईस्लैंडर्स" के अनुसार, उन्होने ने विनलैंड मे एक उपनिवेश कि स्थापना की, जिसे आज न्युफ़ाउन्डलैंड द्वीप (कनाडा) मे लौंस ओ मेडो के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि लीफ़ का जन्म आईसलैंड मे हुआ था, लगभग सन् ९७० में। वे पिता एरिक द रेडऔर माता थ्योतखिल्द के पुत्र थे। एरिक द रेड स्वं एक अन्वेषक थे और उन्होने ग्रीनलैंड मे प्रथम नौरवेजिअन उपनिवेश की स्थापना की थी। लीफ़ के दो बेटे थे, थौरगिल्स और थौरकेल।
प्रारंभिक जीवन
लीफ़ पिता एरिक द रेड और माता थ्योतखिल्द के पुत्र और थोरवाल्ड असवाल्डसन के पौत्र थे। हाला कि सागास ओफ़ आईस्लैंडर्स में लीफ़ का जन्मस्थान नहीं दिया गया है, लीफ़ का जन्म संभवतया आईस्लैंड के ब्रेव़ाफ्युरथुर मे हुआ था[3][4][5]। लीफ़ के दो भाई, थोरस्टेन और थोरवाल्ड और एक बहन, फ़्रेदिस, थे। थोरवाल्ड असवाल्डसन को नोरवे से हत्या के लिये निर्वासित किया गया था, और वे युवा एरिक के संग निर्वासन मे आईस्लैंड चले गये। जब एरिक स्वं ही आईस्लैंड से निर्वासित हुए, उनहोने पश्चिम कि ओर यात्रा की और सन् ९८६ग्रीनलैंड मे प्रथम नोरवेजियन उपनिवेष की स्थापना की[6][7]।
विनलैंड की खोज
सन् ९९९ मई लीफ़ और उनके साथियों ने ग्रीनलैंड से नोरवे तक जलयात्रा की। नोरवे पहुचने पर वे राजा ओलाफ़ ट्रिगवासन के हर्डमैन बन गये। उन्होने ईसाई धर्म अपना लिया और उन्हें ग्रीनलैंड मे इस धर्म का विस्तार करने का कार्य सौंपा गया। "सागास ओफ़ एरिक द रेड" और "सागास ओफ़ ग्रीनलैंडर्स" में लीफ़ की विनलैंड की यात्रा के प्रति भिन्न विवरण दिये गये हैं। विनलैंड की चर्चा केवल दो ऐतिहासिक लेखों मे हुई है, अरि द वाईज़ की ११२२ मे लिखी गई पुस्तक, इस्लेनदिन्काबोक, एंव ऐडम ओफ़ ब्रेमन के लेख में। "सागास ओफ़ ग्रीनलैंडर्स" के अनुसार, लीफ़ ने विनलैंड को पहली बार तब देखा था जब वे ग्रीनलैंड से नोरवे ईसाई धर्म का विस्तार करने जा रहे थे और अपनी यात्रा मे भटक गये।
इनार हाउगन का "वोयजेस टु विनलैंड" के अनुवाद के शाब्दिक व्याख्या अनुसार, लीफ़ एरिकसन एसे पहले व्यक्ति नही थे जिन्होने उत्तरी अमेरिका को देखा था। लीफ़ ने ब्यार्नि हरजोल्फसन के दावे सुने थे कि उसने ग्रीनलैंड के पश्चिम भी एक भूमि देखी थी। तथापि, ब्यार्नी ने कथित रूप से कभी उत्तरी अमेरिका पर कदम नही रखा था। बाद मे, जब लीफ़ नोरवे से ग्रीनलैंड की यात्रा कर रहे थे, वे रास्ता भटक कर उत्तरी अमेरिका के एक द्वीप मे पहुच गये जहाँ पर उन्हे "अपने-आप उगे हुए गेहूं के और अंगूर के खेत" दिखे। उस द्वीप से उन्होने दो अज्ञात व्यक्तियों को बचाया और वापस ग्रीनलैंड चले गये। परिणामस्वरूप, अगर इस पर भरोसा किया जाय, तो ब्यार्नी उत्तरी अमेरिका को देखने वाले पहले यूरोपीय थे और वे दो अज्ञात लोग उस महाद्वीप पर कदम रखने वाले पहले यूरोपीय थे।
लीफ़ ने फ़िर ब्यार्नी का जहाज़ खरीदा, ३५ नाविकों का दल इकट्ठा किया और ब्यार्नी के द्वारा वर्णित भूमि की ओर चले गये। एरिक्सन ने ब्यार्नी के पथ का उत्त्क्रम मे अनुगमन किया और एक निर्जन पथरीली जगह पर पहुच गये, जिसका नाम उनहोने हेलुलैंड रखा। थोड़ी सी यात्रा के पश्चात, वह एक वनाच्छादित इलाके मे पहुच गये, जिसका नाम उनहोने मार्कलैंड (संभवतया लैबराडोर) रखा। अंततः, लीफ़ विनलैंड (दाखमधु भूमि) पहुच गये। यहाँ पर उनहोने एक छोटे उपनिवेश की स्थापना की, जिसे ग्रीनलैंड के आगंतुकों ने लीफ़्सबुदिर का नाम दिया। विनलैंड मे सर्दियां बिता कर वे वापस ग्रीनलैंड आ गये।
सन् १९६० मई नोर्वेजियन अन्वेषक हेलग इगंस्टाड के द्वारा किये गये अनुसंधान से न्युफ़ाउन्डलैंड के उत्तरी तट पर एक नोर्वेजियन उपनिवेश का अन्वेषण हुआ। माना गया है कि यह जगह, जिसे आज लौंस ओ मेडो के नाम से जाना जाता है, "वोयजेस टु विनलैंड" और अन्य पुस्तकों मे वर्णित लीफ़्सबुदिर है। इगंस्टाड ने यह दिखाया कि नोर्वेजियन और आईस्लैंडिक् लोग क्रिसटोफ़र कोलम्बस से ५०० साल पहले उत्तरी अमेरिका पहुच गये थे। बाद के पुरातात्विक साक्ष्य से पता चलता है कि विनलैंड सेंट लॉरेंस की खाड़ी के आसपास क्षेत्रों मे स्थित था और लौंस ओ मेडो एक जहाज मरम्मत-स्थल और अन्य यात्राओं के लिये विश्राम-स्थल था। सागास ओफ़ एरिक द रेड मे दो और स्थानों का उल्लेख किया गया है -स्ट्रौमफ़्योर्ड और होप। दोनो ही विनलैंड के दक्षिण मे स्थित हैं।
निजी जीवन
लीफ़ एक शक्तिशाली, ज्ञानी, और विचारशील व्यक्ती बताये जाते है। जब लीफ़ हेब्रिडेस मे रुके हुए थे, उनहोने थौरगुना के संग विवाह किया, जिसने लीफ़ के पुत्र थौरगिल्स को जन्म दिया। थौरगिल्स को बाद मे लीफ़ के पास ग्रीनलैंड भेज दिया गया, परंतु वो प्रसिद्ध्ता प्राप्त नही कर पाया। विनलैंड की यात्रा के बाद, लीफ़ वापस ग्रीनलैंड आ कर इसाई धर्म का विस्तार करने लग गये। एरिक ने इसाई धर्म को नही अपनाया, पर थ्योतखिल्द ने इस धर्म को अपनाया और "थ्योतखिल्द चर्च" की स्थापना की। लीफ का आखरी जिवीत उल्लेख सन् १०१९ मे हुआ है और सन् १०२५ मे लीफ़ के बेटे थौरकेल को ईरिकफ्योर्ड का सरदार बाना दिया गया। धारावाहिकों मे लीफ कि मृत्यु का विवरण नही किया गया है-उनकी मृत्यु १०१९ और १०२५ के बीच मे हुई थी।
धरोहर
नोर्वे और मध्यकालीन युरोप
लीफ के सफल अभियान के पश्चात अन्य नोर्वेजियन अन्वेषक भी यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित हुए। नॉर्स और उत्तरी अमेरिका के स्वदेशी लोगों के बीच पहली बार स्पष्ट संपर्क लीफ़ के भाई थोरवाल्ड द्वारा हुई थी, जिसका अंत हत्या और शत्रुता मे हुआ। अंतत: विनलैंड मे कोई स्थायी उपनिवेश की स्थापना नही हुई, परंतु लकड़ी, प्रावधानों और व्यापार के लिये सदियों तक अभियान चलते रहे। इन क्षेत्रों के बारे मे आकस्मिक स्वरों से पता चलता है कि समकालीनों इन अभियानों को अधिक महत्व नही दिया, या फिर यह सार्वजनिक ज्ञान था। इन अभियानों का ज्ञान संभवतया मध्यकालीन युरोप मे फैल गया और यह भी संभव है कि क्रिसटोफ़र कोलमबस ने इन अभियानों के बारे मे सुना हो।
संयुक्त राज्य अमेरिका
लिए लीफ की यात्रायों की कहानियां का नॉर्डिक अमेरिकियों के आत्म धारणाओ पर गहरा प्रभाव पड़ा. अमेरिका मे लीफ़ कि पहली मूर्ति बौस्टन मे १८८७ मे निर्माणित हुई थी। शिकागो मे १९०१ एक और मूर्ति निर्माणित हुई। दिनांक ९ अक्टूबर संयुक्त राज्य अमेरिका में लीफ को याद करने के लिए प्रयोग किया गया है। १९२९ में, विस्कॉन्सिन विधानमंडल राज्य में अक्टूबर ९ "Leif Erikson दिवस" बनाने के लिए एक बिल पारित किया। ![](//upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/d/d3/LeifErikson1968stamp.jpg)
बाहरी कड़ियाँ
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सन्दर्भ