लश्कर-ए-तैयबा

पाकिस्तान आधारित एक इस्लामी-आतङ्कवादी संगठन

लश्कर-ए-तैयबा (उर्दू: لشكرِ طيبه लश्कर-ए-तोएबा, अर्थात शुद्धों की सेना) दक्षिण एशिया के सबसे बडे़ इस्लामी आतंकवादी संगठनों में से एक है। हाफिज़ मुहम्मद सईद ने इसकी स्थापना अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में की थी।[9] वर्तमान में यह पाकिस्तान[10] के लाहौर से अपनी गतिविधियाँ चलाता है, एवं पाक अधिकृत कश्मीर में अनेकों आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर चलाता है।[11] इस संगठन ने भारत के विरुद्ध कई बड़े हमले किये हैं और अपने आरंभिक दिनों में इसका उद्येश्य अफ़ग़ानिस्तान से सोवियत शासन हटाना था। अब इसका प्रधान ध्येय कश्मीर से भारत का शासन हटाना है।[12]

लश्कर-ए-तैयबा
لشکر طیبہ
Leaderहाफिज़ मुहम्मद सईद
Dates of operation1986[1][2][3]–present
MotivesIntegration of Jammu and Kashmir with Pakistan[4]
HeadquartersMuridke, Pakistan
Active regionsIndia and Pakistan[4]
IdeologySunni Islam
Islamic fundamentalism
Political positionFar-right[5][6]
Notable attacksJammu & Kashmir attacks; 2000 terrorist attack on Red Fort, November 2008 Mumbai attacks (attributed to LeT members)
StatusDesignated as a terrorist Organization by U.S. (26 December 2001), Pakistan (2002),[7] Australia (2003) and India. Banned in UK (2001) and EU (2003). Sanctioned by the UN (2008)
Size100 000s members all over Pakistan (2005)[8]
AlliesNon-State allies
  • Jaish-e-Mohammed
  • [[File:|22x20px|border |alt=|link=]]Hizbul Mujahideen
OpponentsState opponents
लश्कर-ए-तैयबा

इसकी स्थापना में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआइए का योगदान था।

पृष्ठभूमि (बैकग्राउंड)

इसकी शुरुआत लाहौर विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग के प्रोफ़ेसर हप़ीज़ मोहम्मद सईद ने १९८० के दशक के अन्त में की थी। इसका उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान से रूसी सेनाओं को हटाना था। संगठन ने अपने को वहाबी इस्लाम के आदर्श पर स्थापित किया। वहाबी अरब में यति आधारित पंथ है। सोवियतों के हटने के बाद इसका उद्देश्य भारतीय कश्मीर पर अपना शासन स्थापित करना - या उसे भारतीय शासन से मुक्त कराना हो गया। आरंभिक दिनों में पाकिस्तान के कई शहरों में इस संगठन की दान-पेटिया मिलती थीं जहाँ इस आंदोलन के लिए लोगों से दान के रूप में आर्थिक मदत मिलती थी। अन्य कश्मीरी संगठनों की तरह इसमें कश्मीर के बाहर के लोग बहुत अधिक थे।[13]


इसका नाम वर्ष २०००-०१ के समय उस समय प्रकाश में आया जब इसने भारत के कई क्षेत्रों पर हमले किये। सितम्बर २००१ में अमेरिका पर हुए हमले के बाद तत्कालीन शासक परवेज़ मुशर्रफ़ ने इसपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। इसके नेताओं की गतिविधियाँ सीमित कर दी गईं थीं और सदस्यों से शान्त रहने को कहा गया था। २००२ के शुरुआत से इसकी गतिविधियाँ कम हो गई थीं। इसके भाग्य में सुनहरा दिन तब आया जब २००५ में कश्मीर में भूकंप के बाद इसे दान एकत्र करने की इजाज़त फ़िर से मिल गई। इससे पहले तक वो अपने सभी हमलों की जिम्मेवारी लेता था पर बाद में इसने हमलों की जिम्मेवारी लेना छोड़ दिया और जमात-उद-दावा का गठन किया गया जिससे इसकी कार्रवाइयाँ ज़ारी रहें।

कार्रवाईवर्ष २००० में दिल्ली के ऐतिहासिक किले पर हमले की जिम्मेवारी इस समूह ने ली। २००१ में श्रीनगर हवाई अड्डा और अप्रील २००१ में सीमासुरक्षाबल के जवानों की हत्या की जिम्मेवारी भी इसने ली।

दिसम्बर २००१ में भारतीय संसद पर हुए हमले में १४ लोग मारे गए थे। इसमें लश्कर और जैश-ए-मुहम्मद का नाम लगाया गया था। इसके बाद भारत युद्ध के कगार पर आ गया था।

इसी समय इसने पाकिस्तानी सेना तथा सरकार पर भी कुछ आक्रमण किये। मुम्बई में २००८ के हमलों में भारत सरकार ने इसपर फ़िर उंगली उठाई है पर संगठन ने ये कहकर इसके ख़ारिज़ कर दिया है कि वे कश्मीर के बाहर अपनी कार्यवाइयाँ नहीं करते।

सन्दर्भ

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