मार्गरेट अल्वा

भारतीय राजनीतिज्ञ

मार्गरेट अल्वा (जन्मः 14 अप्रैल 1942), भारत के राजस्थान राज्य की राज्यपाल रही हैं। उन्होंने 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक वरिष्ठ सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की आम सचिव हैं। वे मर्सी रवि अवॉर्ड से सम्मानित हैं।

मार्गरेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा

पद बहाल
12 मई 2012 – 2014
पूर्वा धिकारीशिवराज पाटिल
उत्तरा धिकारीकल्याण सिंह

जन्म14 अप्रैल 1942 (1942-04-14) (आयु 82)
मैंगलूर
राष्ट्रीयताभारतीय
बच्चे3 पुत्र और 1 पुत्री
शैक्षिक सम्बद्धतामाउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लॉ कॉलेज, बेंगलुरू
पेशाअधिवक्ता

प्रारंभिक जीवन

मारग्रेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मैंगलूर के पास्कल एम्ब्रोस नजारेथ और एलिजाबेथ नजारेथ के यहाँ हुआ। अल्वा को अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाने के लिए बंगलौर ले जाया गया, जहां माउंट कार्मेल कॉलेज और राजकीय लाँ कॉलेज में इनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। 24 मई 1964 में उनकी शादी निरंजन अल्वा से हुई। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। दोनों बेटे क्रमश: निरेत अल्वा और निखिल अल्वा ने मिलकर 1992 में मेडिटेक नामक कंपनी की स्थापना की, जो कि एक टेलीविज़न सॉफ्टवेयर कंपनी है। .[1] निरंजन अल्वा स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहली जोड़ी जोकिम अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं।[2]

अल्वा ने चढ़ती वय में ही एक एडवोकेट के रूप में विशिष्ट पहचान बना ली थी। सुखद आश्चर्य तो यह है कि कानूनी लड़ाई के पेशे में रहते हुए उन्होंने तैल चित्र बनाने जैसी ललितकला में और गृह-सज्जा के क्षेत्र में भी हस्तक्षेप किया। वे अपनी सुरूचि पूर्ण जीवन शैली और सौन्दर्य बोध के लिए भी सुपरिचित रही हैं।[3]

राजनीतिक जीवन

कांग्रेस पार्टी की महासचिव रहने और तेजस्वी सांसद के रूप में पाँच पारियाँ (1974से 2004) खेल चुकने के साथ-साथ वे केन्द्र सरकार में चार बार महत्वपूर्ण महकमों की राज्यमंत्री रहीं। एक सांसद के रूप में उन्होंने महिला-कल्याण के कई कानून पास कराने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की। महिला सशक्तिकरण संबंधी नीतियों का ब्लू प्रिन्ट बनाने और उसे केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा स्वीकार कराये जाने की प्रक्रिया में उनका मूल्यवान योगदान रहा। केवल देश में में ही नहीं, समुद्र पार भी उन्होंने मानव-स्वतन्त्रता और महिला-हितों के अनुष्ठानों में अपनी बौद्धिक आहुति दी। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने तो उन्हें वहाँ के स्वाधीनता संग्राम में रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया। वे संसद की अनेक समितियों में रहने के साथ-साथ राज्य सभा के सभापति के पैनल में भी रहीं।[4]

वे 6 अगस्त 2009 से 14 मई 2012 तक उत्तराखण्ड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में कार्य किया। तत्पश्चात 12 मई 2012 से वे राजस्थान राज्य की राज्यपाल हैं।[5][6]

सम्मान

सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में किसी महिला की ओर से किए गए अहम योगदान के लिए 2012 में उन्हें मर्सी रवि अवॉर्ड प्रदान किया गया था।[7]

विवाद

नवम्बर 2008 में उन्होंने जब अपनी पार्टी पर ही कांग्रेस सीटों के लिए टिकिटों के क्रय-विक्रय का आरोप लगाया, तो उन्हें अपनी स्पष्टवादिता की भारी कीमत चुकानी पड़ी और कांग्रेस पार्टी की महासचिव के पद से तथा सैन्ट्रल इलैक्शन कमेटी और महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा तथा मिजोरम राज्यों के लिए कांग्रेस पार्टी की प्रभारी पद से भी मुक्त होना पड़ा।[8]

सन्दर्भ

बाहरी कडियाँ

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