मंडी, हिमाचल प्रदेश

हिमाचल प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा नगर

मंडी (Mandi), जिसका पूर्वनाम मांडव नगर (Mandav Nagar) था और तिब्बती नाम ज़होर (Zahor) है, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के मंडी ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है और ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ हिमाचल का एक महत्वपूर्ण धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र भी है।[1][2]

मंडी
Mandi
मंडी के कुछ दृश्य
मंडी is located in हिमाचल प्रदेश
मंडी
मंडी
हिमाचल प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 31°42′36″N 76°55′52″E / 31.710°N 76.931°E / 31.710; 76.931 76°55′52″E / 31.710°N 76.931°E / 31.710; 76.931
देश भारत
प्रान्तहिमाचल प्रदेश
ज़िलामंडी ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल26,422
भाषा
 • प्रचलितपहाड़ी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड175 001
दूरभाष कोड91-01905
वाहन पंजीकरणHP-33, HP-65
निकटतम नगरसुंदरनगर
लिंगानुपात1000/1013 /
साक्षरता83.5%

विवरण

मंडी ज़िला जनसंख्या में शिमला के बाद यह राज्य का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। मंडी नगर राज्य की राजधानी, शिमला, से 145 किलोमीटर (90 मील) उत्तर में स्थित है। यह पर्यटन की दृष्टि से महत्व रखता है और यहाँ आयोजित नवरात्रि मेला प्रसिद्ध है। इसे "वाराणसी ऑफ हिल्स" या "छोटी काशी" या "हिमाचल की काशी" के रूप में जाना जाता है। मंडी के लोगों का गर्व से दावा है कि जबकि बनारस (काशी) केवल 80 मंदिर है, मंडी 81 है। यह कभी मंडी रियासत की राजधानी हुआ करती थी। मंडी नगर की स्थापना अजबर सेन द्वारा सन् 1527 में हुई। मंडी रियासत सन् 1948 तक अस्तित्व में रही। बाद में मुख्य शहर पुरानी मंडी से नई मंडी में स्थानांतरित करा गया।

इसके पश्चिमोत्तर में हिमालय की श्रेणियाँ 1044 मीटर (3425 फुट) की औसत रखती हैं। शहर गर्मियों में सुखद और सर्दियों में ठंडा रहता है। शहर में कई पुराने महल और वास्तुकला के उल्लेखनीय उदाहरण के अवशेष हैं। राजमार्ग मंडी को पठानकोट, मनाली और चंडीगढ़ से जोड़ते हैं। 184.6 किमी (114.7 मील) दूर स्थित चंडीगढ़ निकटतम बड़ा शहर है। दिल्ली यहाँ से 440.9 किमी (273.9 मील) दूर है।

शहर का नाम ऋषि माण्डव पर पड़ा था। मान्यता है कि यहाँ की चट्टानें उनकी तपस्या की गंभीरता के कारण काली हो गई।

परिचय

व्‍यास नदी के किनारे बसा हिमाचल प्रदेश का ऐतिहासिक नगर मंडी लंबे समय से व्‍यवसायिक गतिविधियों का केन्‍द्र रहा है। समुद्र तल से 760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह नगर हिमाचल के तेजी से विकसित होते शहरों में एक है। कहा जाता है महान संत मांडव ने यहां तपस्‍या की और उनके पास अलौकिक शक्तियां थी। साथ ही उन्‍हें अनेक ग्रन्‍थों का ज्ञान था। माना जाता है कि वे कोल्‍सरा नामक पत्‍थर पर बैठकर व्‍यास नदी के पश्चिमी तट पर बैठकर तपस्‍या किया करते थे। यह नगर अपने 81 ओल्‍ड स्‍टोन मंदिरों और उनमें की गई शानदार नक्‍कासियों के लिए के प्रसिद्ध है। मंदिरों की बहुलता के कारण ही इसे पहाड़ों के वाराणसी नाम से भी जाना जाता है। मंडी नाम संस्‍कृत शब्‍द मंडोइका से बना है जिसका अर्थ होता है खुला क्षेत्र।

दर्शनीय स्थल

रिवालसर झील

मंडी से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रिवालसर झील अपने बहते रीड के द्वीपों के लिए लो‍कप्रिय हैं। कहा जाता है कि इनमें से सात द्वीप हवा और प्रार्थना से हिलते हैं। प्रार्थना के लिए यहां एक बौद्ध मठ, हिन्‍दु मंदिर और एक सिख गुरूद्वारा बना हुआ है। इन तीनों धार्मिक संगठनों की ओर से यहां नौकायन की सुविधा मुहैया कराई जाती है। इसी स्‍थान पर बौद्ध शिक्षक पद्मसंभव ने अपने एक शिष्य को धर्मोपदेश देने के लिए नियुक्‍त किया था। यहाँ पर अनेक मनोहर स्थल है, जहाँ कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है। जैसे- बरसात। यह माँ नैना देवी की तलहटी में स्थित है, तथा इस स्थान को त्रिवेणी के नाम से भी जाना जाता है।

त्रिलोकनाथ शिव मंदिर

नागरी शैली में बने इस मंदिर की छत टाइलनुमा है। यहां से आसपास के सुंदर नजारे देखे जा सकते हैं। मंदिर से नदी और आसपास के क्षेत्रों का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यहां भगवान शिव को तीनों लोकों के भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। मंदिर में स्थित भगवान शिव की मूर्ति पंचानन है जो उनके पांच रूपों को दिखाती है।

भूतनाथ मंदिर

मंडी के बीचों-बीच स्थित इस मंदिर का निर्माण 1527 में किया गया था। यह मंदिर उतना ही पुराना है जितना कि यह शहर। मंदिर में स्‍थापित नंदी बैल की प्रतिमा बुर्ज की ओर देखती प्रतीत होती हे। पास ही बना नया मंदिर खूबसूरती से बनाया गया है। मार्च के महीने में यहां शिवरात्रि का उत्‍सव मनाया जाता है जिसका केंद्र भूतनाथ मंदिर होता है।

श्यामाकाली मंदिर

टारना पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर को टारना देवी मंदिर भी कहा जाता है। राजा श्‍याम सेन ने 1658 ई० में इस मंदिर का निर्माण कराया था। अपने वारिस के पैदा होने की खुशी में देवी को धन्‍यवाद देने के लिए उन्‍होंने यह मंदिर बनवाया। भगवान शिव की पत्‍नी सती को समर्पित इस मंदिर का पौराणिक महत्‍व है।

सुंदरनगर

मंडी से 26 किलोमीटर दूर सुंदरनगर अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खूबसूरत हरीभरी घ‍ाटियों के इस क्षेत्र में ऊंचें ऊंचें पेड़ों की छाया में चलना बहुत की सुखद अनुभव होता है। पहाड़ी के ऊपर सुकदेव वाटिका और महामाया का मंदिर है जहां प्रतिवर्ष हजारों भक्‍त आते हैं। एशिया का सबसे बड़ा हाइड्रो इलैक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट सुंदरनगर का ही हिस्‍सा है। साथ ही यहाँ एक अत्यन्त मनोहर झील भी है। यहाँ का रात्री दृश्य बहुत ही सुन्दर होता है। शितला माता व कुमारी माता का मन्दिर भी दर्शनीय है। यहाँ स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय भी है, जिसमें संस्कृत पढ़ने की उत्तम व्यवस्था है।

जंजैहली

मंडी से जंजैहली 82 किलोमीटर है यह एक बहुत ही रमणीय स्थल है तथा भविष्य में यह हिमाचल का तथा भारत का प्रसिद्द पर्यटन स्थल बनने की कगार पर है मंडी से आप इस रमणीय स्थल तक वाया चैलचौक-थुनाग से पहुँच सकते है यह स्थल आपके हृदय को भा जाएगा ऊँचे ऊँचे पहाड़ तथा बर्फ से ढके पहाड़ आपका मन मोह लेंगे

अर्द्धनारीश्‍वर मंदिर

सातवीं शताब्‍दी में बना यह मंदिर स्‍थापत्‍य कला का बेजोड नमूना है। भगवान शिव की सुंदर प्रतिमा यहां स्‍थापित है। प्रतिमा आधे पुरूष और आधी महिला के रूप में है, जो एक दर्शाती है नारी और पुरूष दोनों को अस्तित्‍व एक दूसरे पर निर्भर है।

तत्ता पानी

तत्ता पानी का मतलब गर्म पानी होता है। चारों ओर पहाड़ों से घिरा तत्‍ता पानी यह सतलुज नदी के सतलुज नदी के दायें तट पर स्थित है। जिस घाटी पर यह स्थित है वह बेहद खूबसूरत है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 656 मीटर है। प्राकृतिक सल्‍फर युक्‍त इसका पानी बहुत शुद्ध और अलौकिक शक्तियों से युक्‍त माना जाता है। कहा जाता है कि इसके पानी से बहुत-से राजाओं के शरीर के रोग ठीक हो गए थे। सतलुज नदी के जल में उतार-चढ़ाव के साथ्‍ा इसके जल में उतार-चढ़ाव आता रहता है।

बरोट

बरोट एक शानदार पिकनिक स्‍थल के रूप में लोकप्रिय है। मंडी से 65 किलोमीटर दूर मंडी-पठानकोट हाइवे पर यह स्थित है। यहां का रोपवे और फिशिंग की सुविधाएं पर्यटकों को काफी आकर्षिक करती हैं।

शिकारी देवी मंदिर

समुद्र तल से 3332 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर मानवीय शोर-शराबे एक एकदम मुक्‍त है। सूर्योदय और सूर्यास्‍त के मनमोहक नजारे यहां से बहुत ही सुंदर दिखाई देते हैं। चैल चौक, जंजैहली,करसोग और गोहर से होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है।

कमरुनाग

कमरुनाग मंडी जिले में सबसे ज्यादा पूजनीय देवता है इसे वर्षा का देवता भी कहा जाता है ऊँची पहाड़ियों में चारों और से देवदारों से घिरे इस देवता का मन्दिर है हर वर्ष जून -जुलाई में यहाँ मेले का आयोजन होता है हजारों लोग पैदल यात्रा करके यहाँ पहुंचते है यहाँ तक श्रद्धालु वाया चैलचौक ,रोहांडा,करसोग से होकर आ सकते हैं शांत वादियों में स्थित इस स्थल की अपनी ही एक पहचान है

पराशर

पराशर झील मण्डी से 47 किलोमीटर दूर उत्‍तर दिशा में स्थित है। इसकी लोकप्रियता का कारण यहां बना एक तिमंजिला मंदिर है। पैगोड़ा शैली में बना यह मंदिर संत पराशर को समर्पित है।

आवागमन

वायु मार्ग

हिमाचल प्रदेश का भुंतर हवाई अड्डा मंडी का निकटतम हवाई अड्डा है। मंडी से इस हवाई अड्डे की दूरी लगभग 63 किलोमीटरहै।

रेल मार्ग

मंडी का निकटतम रेलवे स्टेशन कीरतपुर में है जो यहां से 125 किमी की दूरी पर है।

सड़क मार्ग

सड़क मार्ग से चंडीगढ़, पठानकोट, शिमला, कुल्‍लू, मनाली और दिल्‍ली से मंडी पहुंचा जा सकता है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की अनेक बसें मनाली, कुल्‍लू, चंडीगढ़, शिमला और दिल्‍ली से मंडी के लिए चलती हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 3 और राष्ट्रीय राजमार्ग 154 यहाँ से गुज़रते हैं।

चित्रावली

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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