भारतीय काकड़
भारतीय काकड़ (Indian muntjac), जिसे लाल काकड़ (Red muntjac) और भौंकता हिरण (Barking deer) काकड़ हिरण की एक जीववैज्ञानिक जाति है। यह भारत और दक्षिणपूर्वी एशिया में मिलती है।[2][3]
भारतीय काकड़ Indian muntjac | |
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भारतीय काकड़ | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | कौरडेटा (Chordata) |
वर्ग: | स्तनधारी (Mammalia) |
गण: | आर्टियोडैकटिला (Artiodactyla) |
उपगण: | सर्विडाए (Cervidae) |
कुल: | सर्विनाए (Cervinae) |
वंश: | मुंटिएकस (Muntiacus) |
जाति: | मुंटिएकस मुंटाऐक M. muntjak |
द्विपद नाम | |
Muntiacus muntjak ज़िमरमैन, 1780 | |
उपजातियाँ | |
15 परिभाषित उपजातियाँ | |
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भौगोलिक विस्तार |
विवरण
भारतीय काकड़ काकड़ की सबसे ज़्यादा पाई जाने वाली जाति है। इसके बाल छोटे और मुलायम होते हैं। बालों का रंग भूरा या स्लेटी होता है और कभी-कभी उनमें सफ़ेदी भी झलकती है। इस जाति को सर्वभक्षी की संज्ञा दी गयी है क्योंकि यह फल, कोमल टहनी, बीज, चिड़िया के अण्डे, छोटे जीव और यहाँ तक की जानवरों के शव भी खाता है। खतरे का आभास होने पर यह जो ध्वनि निकालता है वह भोंकने के समान होती है, इसीलिए इसको अंग्रेज़ी में बार्किंग डियर भी कहते हैं। यह जाति काकड़ की ११ ज्ञात जातियों में से एक है और एशिया के कई भागों में फैली हुयी है। विशेषतः यह दक्षिणी एशिया में विस्तृत रूप से पाया जाता है फिर भी एशिया का सबसे कम जाने जाना वाले जानवरों में से एक है। जीवाश्मिक प्रमाण बताते हैं कि यह कम-से-कम १२,००० वर्षों से धरती में है। तब से इसने दक्षिणी एशिया में आखेट, भोजन तथा खाल प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
नर भारतीय काकड़ के छोटे सींग होते हैं जिसकी एक ही शाखा होती है और जो लगभग १५ से.मी. तक लंबे हो जाते हैं। हर वर्ष यह उसके सिर पर हड्डीनुमा गांठ से प्रस्फुटित होते हैं। नर अपने क्षेत्र रक्षण के मामले में अत्यधिक संवेदनशील होते हैं तथा अपने आकार के विपरीत काफ़ी उग्र हो सकते हैं। वह क्षेत्र रक्षण के लिए एक दूसरे से काफ़ी संघर्ष करते हैं और अपने सींग के अलावा बाहर निकले हुये ऊपरी श्वानदन्तों का अधिक प्रयोग करते हैं तथा अपने बचाव के लिए ढोल जैसे परभक्षी से भी भिड़ने का माद्दा रखते हैं।