बीफ
बीफ मवेशियों के मांस का पाक नाम है।
प्रागैतिहासिक काल में मनुष्यों ने औरोक्स का शिकार किया और बाद में उन्हें पालतू बनाया। उस समय से मवेशियों की कई नस्लों को विशेष रूप से उनके मांस की गुणवत्ता या मात्रा के लिए पाला गया है। आज सूअर के मांस और कुक्कुट के बाद बीफ दुनिया में तीसरा सबसे अधिक खाया जाने वाला मांस है। 2018 तक संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और चीन बीफ के सबसे बड़े उत्पादक थे। 2020 में 3760000 तन बीफ का अकेले भारत ने उत्पादन किया। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है।
अवैध बूचड़खाने
भारत में सिर्फ 4,000 पंजीकृत बूचड़खाने हैं, और 25,000 से अधिक अपंजीकृत परिसर हैं जो अवैध रूप से संचालित होते हैं।[2] 2019 में, सांसद मेनका गांधी ने एक अवैध भैंस बूचड़खाने का दौरा किया और लिखा: “मैंने प्रवेश किया, और हमने खुद को खून से लथपथ पाया, हजारों ताजी कटी हुई हड्डियाँ और मक्खियाँ। वह जगह नर्क के सबसे बुरे हिस्से की तरह थी जिसकी कोई कल्पना भी कर सकता है। फैक्ट्री कोई गुप्त ऑपरेशन नहीं था। यह एक बड़ी अच्छी तरह से निर्मित संरचना थी और अगर पुलिस भुगतान प्रणाली का हिस्सा नहीं होती तो इसे संचालित नहीं किया जा सकता था। स्थानीय पुलिस आयुक्त को इसका हिस्सा पाया गया।[3]
भारत में बीफ की खपत
भारत के सारे राज्यों में बीफ और गायों का क़त्ल अवैध नहीं है। केरला, दक्षिण बंगाल और आसाम को छोड़ कर सारे उत्तर पूर्वीय राज्यों में बीफ खाना और भूचडख़ाने अवैध नहीं हैं। यह प्रतिबन्ध २०१५ के वर्ष में ही जारी किये गए हैं। भारत अब तक, 2023 में, 2015-2024 की अवधि के दौरान बीफ और वील की खपत में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। बीफ की खपत की इस उच्च दर का एक बड़ा कारण यह है कि खाया जाने वाला बीफ गाय का नहीं बल्कि भैंस का होता है। अधिकांश राज्यों में गाय वध पर प्रतिबंध है, भैंस वध पर नहीं।