बदख़्शान
बदख़्शान (फ़ारसी: بدخشان, ताजिक: Бадахшон, अंग्रेजी: Badakhshan) पामीर पर्वतों के इलाक़े में स्थित मध्य एशिया का एक ऐतिहासिक क्षेत्र है जो आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वोत्तरी और आधुनिक ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी भागों पर विस्तृत था। अफ़ग़ानिस्तान के सुदूर उत्तरपूर्वी बदख़्शान प्रान्त (जिसमें प्रसिद्ध वाख़ान गलियारा भी आता है) और ताजिकिस्तान के दक्षिणपूर्वी कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त का नाम इसी पुराने नाम पर पड़ा है।[1]
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- अफ़ग़ानिस्तान के इसी नाम के प्रान्त के लिए बदख़्शान प्रान्त देखें और ताजिकिस्तान के इस से मिलते-जुलते नाम वाले प्रान्त के लिए कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त देखें
नाम
'बदख़्शान' क्षेत्र का नाम ईरान के सासानी साम्राज्य ने दिया था। उसकी राज्य-व्यवस्था में 'बदख़्श' एक सरकारी उपाधि हुआ करती थी और 'आन' का अर्थ है 'वाला' है (जैसे 'हिम्मत-ए-मरदान' का मतलब है 'मर्दों वाली हिम्मत')। 'बदख़्शान' शब्द में 'ख़' अक्षर के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह बिना बिन्दु वाले 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है।
लोग
बदख़्शान के लोग विविध समुदायों से सम्बन्ध रखते हैं। यहाँ ताजिक लोगों की बहुसंख्या है और उज़बेक और किरगिज़ के अल्पसंख्यक समुदाय भी यहाँ रहते हैं। इस क्षेत्र में कई पामीरी भाषाओं के बोलने वाले मिलते हैं। २०वीं सदी में ताजिकिस्तान के कूहिस्तोनी-बदख़्शान स्वशासित प्रान्त में पामीरी भाषियों में एक अलग पामीरी समुदाय की पहचान बन गई। इन्हें सरकारी तौर पर कोई मान्यता न मिलने के बावजूद उस देश में पामीरी मुहीम और सभाएँ चालू हो गई। बदख़्शान के लोग अधिकतर शिया इस्लाम की इस्माइली शाखा और सुन्नी इस्लाम से जुड़े हुए हैं। क्षेत्रीय लोगों की अपनी अलग संगीत, कला, कविता और नृत्य शैलियाँ हैं जो अभी भी लोकप्रीय हैं।[2]