बजरंग बहादुर सिंह
राजा बजरंग बहादुर सिंह (१९०५-१९७३) राजनीतिज्ञ एवं स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी थे। वे हिमाचल प्रदेश के उपराज्यपाल व अवध की तालुकदारी रियासत भदरी (वर्तमान में, प्रतापगढ़ जिला में) के राजा थे। वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रहे।[1]
राजा बजरंग बहादुर सिंह भदरी | |
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![]() प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ राजा बजरंग बहादुर सिंह | |
जन्म | १९०६ |
मौत | १९७३ |
मौत की वजह | बीमारी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उपनाम | राय साहब, भदरी नरेश |
प्रसिद्धि का कारण | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम |
राजनैतिक पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
धर्म | हिन्दू |
जीवनसाथी | महारानी रुक्मणी देवी |
व्यक्तिगत जीवन
वर्ष १९२६ में राजा बजरंग बहादुर सिंह का विवाह अजयगढ़ के महाराजा पुण्य प्रताप सिंह और महारानी रुक्मणी देवी की पुत्री रानी गिरिजा देवी से हुआ। उदय प्रताप सिंह राजा बजरंग बहादुर के भतीजे है।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
बतौर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा बजरंग बहादुर सिंह कई आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इनकी रियासत भदरी का कई स्थानों पर ज़िक्र है। महात्मा गाँधी के असहयोग आंदोलन का राजा भदरी ने समर्थन किया और असहयोग आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका दर्ज कराते हुए बजरंग बहादुर सिंह ने विदेशी वस्त्रो का बहिष्कार कर कपड़ों की होली जलायी।
राजनैतिक जीवन
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वर्ष १९५५ में राजा बजरंग बहादुर हिमाचल प्रदेश के उपराज्यपाल बने। १ जनवरी १९५५ को उपराज्यपाल पद पर नियुक्ति हुई और १३ अगस्त १९६३ तक इस पद पर कार्यरत रहे।[2]