पाक्योंग विमानक्षेत्र
पाक्योंग विमानक्षेत्र सिक्किम की राजधानी गंगटोक के निकट बना एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है।[1] यह विमानक्षेत्र गंगटोक से दक्षिण में लगभग ३५ कि॰मी॰ दूर 400 हे॰ (990 एकड़) में विस्तृत है।[2] 4,500 फीट (1,400 मी॰) की ऊंचाई पर स्थित यह भारत के पांच सर्वोच्च ऊंचाई पर स्थित विमानक्षेत्रों में से एक है।[3] यह भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में बना प्रथम ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है तथा भारत का १००वां प्रचालन संलग्न विमानक्षेत्र भी है।[4][5] यह सिक्किम राज्य का प्रथम हवाई अड्डा है।[6]
पाक्योंग विमानक्षेत्र | |||||||||||
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विवरण | |||||||||||
हवाईअड्डा प्रकार | सार्वजनिक | ||||||||||
संचालक | भाविप्रा | ||||||||||
सेवाएँ (नगर) | गंगटोक | ||||||||||
स्थिति | पाक्योंग, सिक्किम, भारत | ||||||||||
प्रारम्भ | सितम्बर 24, 2018 | ||||||||||
समुद्र तल से ऊँचाई | 1,399 मी॰ / 4,590 फुट | ||||||||||
निर्देशांक | 27°13′40″N 088°35′13″E / 27.22778°N 88.58694°E 088°35′13″E / 27.22778°N 88.58694°E | ||||||||||
मानचित्र | |||||||||||
उड़ानपट्टियाँ | |||||||||||
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इस हवाई अड्डे का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा २४ सितंबर, २०१८ को किया गया था।[7] हालांकि पहले यहां से प्रथम उड़ान स्पाइस्जेट द्वारा ४ अक्तूबर को होनी तय थी, किन्तु बाद में इसे ८ अक्तूबर को होना निर्धारित किया गया।[8]ड्रक एयर द्वारा १ जनवरी २०१९ से पाक्योंग से पारो की उड़ान आरम्भ करने की भी योजना है। इस प्रकार यह अन्तर्राशःट्रीय विमानक्षेत्र भी बनने वाला नियोजित है।[9]
इतिहास
पाक्योंग विमानक्षेत्र के निर्माण से पूर्व, सिक्किम भारत का एकमात्र राज्य था जिसमें एक भी प्रचालनाधीन विमानक्षेत्र नहीं था।[10] तब सिक्किम गमन हेतु गंगटोक से 124 कि॰मी॰ (407,000 फीट) पांच घंटे की यात्रा कर पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल स्थित बागडोगरा या पड़ोसी देश भूटान में पारो हवाई अड्डे से जाना होता था।[11]
पाक्योंग विमानक्षेत्र का अनुमोदन आर्थिक मामलों हेतु मन्त्रिमण्डल समित द्वारा अक्तूबर २००८ में किया गया था। तब जनवरी २००९ को इस ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिये पुंज लॉयड समूह के साथ ₹2,640 करोड़₹2,640 मिलियन (US$38.54 मिलियन) का अनुबंध हवाई पट्टी और टैक्सीमार्ग के निर्माण, एप्रन जल निकासी व्यवस्था, और बिजली के काम के लिए किया गया था। तब इस विमानक्जशःएत्नर की आधारशिला तत्वकालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल द्वारा फरवरी २००९ को रखी गयी थी।[12]
परियोजना शुरू होने पर पूरे होने की आशा २०१२ तक की थी, किन्तु स्थानीय ग्रामवासियों द्वारा पर्याप्त प्रतिपूर्ति एवं पुनर्स्थापन योजना की मांग किये जाने व इसके लिये न्यायालय जाने के कारण यह योजना जनवरी २०१४ तक रुकी रही। तब भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा मध्यस्थता कर और ग्रामावासियों को आंशिक प्रतिपूर्ति कर कार्य को अक्तूबर २०१४ में पुनरारम्भ किया गया, किन्तु जनवरी २०१५ में ग्रामवासियों के विरोध के चलते एक बार पुनः यह कार्य बाधित हुआ।[13] जुलाई २०१५ को भाविप्रा के साथ राज्य सरकार द्वारा एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया जिससे भाविप्रा अपना कार्य अक्तूबर २०१५ में एक बार पुनः आरम्भ कर पायी। यहां पर अनोपलब्ध विद्युत-ऊर्जा के अभाव और भूस्खलन के कारण यह कार्य पुनः दो बार बाधित हुआ, जिससे इसकी लागत ₹3,090 करोड़₹3,090 मिलियन (US$45.11 मिलियन) से बढ़कर ₹6,050 करोड़₹6,050 मिलियन (US$88.33 मिलियन) हो गयी।[14] तब यहां की भूस्खलन की समस्या से निबटने हेतु अधिकतम पारिस्थितिक ढलान-स्थिरीकरण तकनीकों (Maximally ecological slope-stabilization techniques) का प्रयोग कर स्थिति को नियन्त्रण में लिया गया तथा कार्य आगे बढ़ा।[15]
५ मार्च २०१८ को भारतीय वाय़ु सेना का डोर्नियर 228 पाक्योंग की पूरी हुई हवाई पट्टी पर पहली बार उतरा।[16] इसके बाद स्पाइस्जेट कंपनी को पाक्योंग से कोलकाता क्षेत्र में उड़ान संचालित करने का कार्यादेश दिया गया। इसका निर्धारण सरकार की उड़ान क्षेत्रीय-संयोजकता योजना (रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम) के तहत बिडिंग के द्वितीय राउण्ड के बाद किया गया। तब स्पाइस्जेट ने पाक्योंग में १० मार्च २०१८ को क्यू४०० विमान का सफ़ल अवतरण प्रयास किया।[17]
हवाई अड्डे को अपना व्यावसायिक संचालन अनुज्ञापत्र नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) से ५ मई २०१८ को प्राप्त हुआ।[18]
वायुसेवाएं एवं गंतव्य
वायुसेवाएं | गंतव्य |
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ड्रक एयर | पारो (१ जनवरी २०१९ से नियोजित)[19] |
स्पाइस्जेट | गुवाहाटी (१६ अक्तूबर २०१८ से नियोजित),[20] कोलकाता (८ अक्तूबर २०१८ से नियोजित)[8] |
संदर्भ
बाहरी कड़ियां
- सिक्किम के ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा पुंज लॉयड वेबसाइट पर।