नूर-सुल्तान

नूर-सुल्तान
Астана
नूर-सुल्तान is located in कज़ाख़िस्तान
नूर-सुल्तान
नूर-सुल्तान
कज़ाख़स्तान में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश:कज़ाख़स्तान
जनसंख्या (२०१०):७,०८,७९४
मुख्य भाषा(एँ):कज़ाख़, रूसी
निर्देशांक:51°10′0″N 71°26′0″E / 51.16667°N 71.43333°E / 51.16667; 71.43333


नूर-सुल्तान (कज़ाख़: Астана, अंग्रेज़ी: Astana) (2019- नूर्सुल्तान या अस्ताना (कज़ाख़: Нұр-Cұлтан, अंग्रेज़ी: Nur-Sultan)) मध्य एशिया के कज़ाख़स्तान देश की राजधानी और उस देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे सोवियत संघ के ज़माने में सन् १९६१ तक अकमोलिंस्क (Акмолинск, Akmolinsk) और उसके बाद सन् १९९२ तक त्सेलिनोग्राद​ (Целиноград, Tselinograd) बुलाया जाता था। कज़ाख़स्तान की आज़ादी के बाद इसे सन् १९९८ तक अकमोला (Ақмола, Akmola) बुलाया गया। यह शहर पूरी तरह अकमोला प्रांत से घिरा हुआ है लेकिन प्रशासनिक रूप से इसे एक अलग संघीय शहर का दर्जा मिला हुआ है।

अंतरिक्ष से अस्ताना का दृश्य

नाम की उत्पत्ति

कज़ाख़ भाषा में 'अस्ताना' शब्द का अर्थ 'राजधानी' होता है लेकिन यह फ़ारसी के 'आस्ताने' (آستانه‎) शब्द से आया है जिसका मतलब 'पूजनीय या शाही दहलीज़' होता है। यह आगे फ़ारसी की एक क्रिया शब्द 'इस्तदान' का रूप है जिसका अर्थ 'खड़ा होना' है और यहाँ सन्दर्भ 'इज़्ज़त से खड़ा होना' है। कज़ाख़स्तान की राजधानी बनने से पहले यहाँ एक संत की क़ब्र थी, जिस से इस बस्ती का पुराना नाम 'अक़ मोला' (Ақ мола) था, यानि 'सफ़ेद मक़बरा'। जून २००८ में कज़ाख़ संसद ने शहर का नाम राष्ट्रपति नूरसुलतान नज़रबायेव के आदर में 'नूरसुलतान' रखने का प्रस्ताव रखा लेकिन राष्ट्रपति ने इस से इनकार करते हुए कहा कि शहर के नाम का फ़ैसला आने वाली पीढ़ियाँ करेंगी। कुछ समीक्षकों का मानना है कि राष्ट्रपति ने इस शहर के नाम के लिए 'अस्ताना' (यानि 'राजधानी') जैसा साधारण शब्द इसलिए चुना ताकि उनकी मृत्यु के पश्चात इसका नाम 'नूरसुलतान' रखने की सम्भावना बनी रहे।

भूगोल और मौसम

अस्ताना उत्तर-मध्य कज़ाख़स्तान में इशिम नदी के किनारे बसा हुआ है। इसके आसपास का इलाका एक शुष्क स्तेपी क्षेत्र है। शहर के पुराने मोहल्ले नदी से उत्तर में और नए मोहल्ले नदी से दक्षिण में स्थित है। स्तेपी का यह इलाका सर्दियों में बहुत ठंडा हो जाता है और मंगोलिया की राजधानी उलानबातर के बाद अस्ताना दुनिया की दूसरा सर्वाधिक ठंडी राजधानी है। यहाँ सर्दियों में तापमान अक्सर −४० °सेंटीग्रेड तक गिर जाता है। जुलाई में तापमान ४० °सेंटीग्रेड तक चढ़ जाता है, यानि काफ़ी गर्मी भी पड़ती है।

सोवियत ज़माने में

जोसेफ़ स्टालिन के ज़माने में यहाँ गुलाग जैसे क़ैदी खेमे लगते थे और अस्ताना के बाहरी क्षेत्रों में 'अलझ़ीर' (ALZHIR, इसमें बिंदु-वाले 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह टेलिविझ़न के झ़ से मिलता-जुलता है) खेमा था। 'अलझ़ीर' रूसी भाषा का एक परिवर्णी शब्द (एक्रोनिम) था जिसका मतलब 'अकमोलिंसकी मातृभूमि के देशद्रोहियों की पत्नियों का खेमा'। इसमें सोवियत तानाशाह स्टालिन द्वारा 'जनता के दुश्मन' क़रार कर दिए गए लोगों की पत्नियाँ क़ैद की जाती थी।

१९५० के दशक में, जब क़ाज़ाख़स्तान सोवियत संघ का हिस्सा था, तो सोवियत संघ में अनाज की बहुत कमी हुई। उस ज़माने में सोवियत व्यवस्था में अधिकतर अनाज रूस के उपजाऊ क्षेत्रों में उगाया जाता था। सोवियत नेता निकिता ख़्रुशचेव​ (Nikita Khrushchev) ने ऐलान किया की अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए मध्य एशिया के स्तेपी इलाक़े की ज़मीनों पर नए सिरे से खेती शुरू की जाएगी। इस अभियान का नाम 'नई धरती' (virgin lands) रखा गया। भारी मात्र में रूस और युक्रेन से लोग उत्तरी क़ाज़ाख़स्तान के नए खेतों में आ बसे जिस से स्थानीय समुदायों का मिश्रण भी बदल गया। यही कारण है कि अस्ताना जैसे इलाक़ों में रूसी लोगों की बहुतायत है।[1] १९६१ में इस शहर का नाम 'त्सेलिनोग्राद' रख दिया गया जिसका मतलब 'नई ज़मीन का शहर' था। द्वितीय विश्वयुद्ध में जब जर्मनी ने सोवियत संघ पर हमला बोला तो सोवियत संघ में बसने वाले जर्मन मूल के बहुत से लोगों को भी ज़बरदस्ती यहाँ भेज दिया गया।

स्वतंत्रता के बाद

१९९१ में जब कज़ाख़स्तान आज़ाद हुआ तो राजधानी दक्षिण में स्थित अलमाती शहर था। सरकार ने त्सेलिनोग्रद शहर और उसके आसपास के क्षेत्र का नाम बदलकर 'अक़मोला' रख दिया जिसका मतलब 'सफ़ेद मक़बरा या धार्मिक स्थल' है। उस समय इस शहर के ७०% लोग रूसी नस्ल के थे जिस से यह डर था कि वे बाक़ी कज़ाख़स्तान से अलग होने की मांग कर सकते थे। सरकार ने १९९५ में घोषणा की के अक़मोला नई राजधानी होगा और १९९८ में इसका नाम बदलकर अस्ताना रखा गया।[2] उन्होने राजधानी बदलने की वजह बताई कि अलमाती अंतर्राष्ट्रीय सरहदों के पास है, पहाड़ों से घिरा होने के कारण उसमें फैलने की सम्भावना कम है और वह क्षेत्र भूकम्पों का शिकार भी रहता है।[3] लेकिन अन्य समीक्षकों ने कहा की सरकार का असली अनकहा मक़सद उत्तरी क्षेत्र को कज़ाख़स्तान से अधिक मज़बूती से बांधना था।[3]

अस्ताना को राजधानी बनाने के निर्णय की कुछ निंदा भी हुई है। आलोचकों के अनुसार यह दूर कज़ाख़ स्तेपी के वीराने में स्थित है जहाँ भयंकर सर्दी पड़ती है। ऊपर से यहाँ अनगिनत नए सरकारी दफ़तर और इमारतें बनाने पर हुए भारी सरकारी ख़र्चे की भी निंदा हुई है। बहुत से सरकारी नौकर अभी भी अलमाती में रहते हैं और उनके अस्ताना आने-जाने और वहाँ होटलों में रहने का ख़र्चा भी सरकार को देना होता है।[4]

लोग

जुलाई २०१० की जनगणना के हिसाब से अस्ताना के ६५.२% लोग कज़ाख़, २३.८% रूसी, २.९% यूक्रेनी, १.७% तातार और १.५% जर्मन मूल के थे। इस शहर की आबादी तेज़ी से बढ़ रही है। १९८९ में यहाँ के केवल १७% लोग कज़ाख़ थे। १९९९ में पाया गया कि यहाँ के ७०% लोग रूसी थे। तब से यहाँ कज़ाख़ भारी संख्या में आ बसे हैं और यह रूसी-बहुसंख्यक शहर अब कज़ाख़-बहुसंख्यक बन गया है। सरकार से मिली आर्थिक सहायता से यहाँ पर रोज़गार ढूँढने वाले बहुत से युवक-युवतियाँ भी आकर बस जाते हैं। पड़ोसी किरगिज़स्तान और उज़बेकिस्तान से भी व्यवसाय ढूंढते लोग क़ानूनी और ग़ैर-क़ानूनी तरीक़ों से यहाँ आ बसे हैं।

नूर-सुल्तान के नज़ारे

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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