दर्शक मापन

दर्शक मापन दर्शकों की संख्या और धारावाहिक आदि का मापन का कार्य है।

विधियाँ

दैनंदिनी

यह दर्शकों के मापन का पहला तरीका था। इस विधि में लोग सभी के पास जाकर उनसे इस बारे में पूछते थे। इसकी शुरुआत 1942 से हुई।[1]

संचार यंत्र

वर्तमान में संचार यंत्र सबसे अच्छा मापक है। कई कंपनी इस प्रकार के मापन के लिए जालस्थल द्वारा जानकारी एकत्रित करती है। जिसका उपयोग वह अपने उत्पाद बेचने या उसे और उन्नत करने में उपयोग करती है। [2]

लाभ

इसका मुख्य लाभ विज्ञापनदाताओं को मिलता है। वह इस प्रकार के विज्ञापन देती है, जिससे लोग उस पर आकर्षित हों और उत्पाद की विक्रयता बढ़े। इस मापन से मापन करने वाले लोगों को कंपनी अत्यधिक धन देती है क्योंकि इस कार्य में जालस्थल, दूरदर्शन और समाचारपत्र द्वारा लोगों की राय और पसंद ले पाना कठिन होता है और इस प्रक्रिया में भी समय लग जाता है।

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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