जैश-ए-मोहम्मद

आतंकी संगठन

जैश-ए-मुहम्मद (جيش محمد) पाकिस्तान में स्थित एक जिहादी इस्लामी उग्रवादी संगठन है जिसका एक ध्येय भारत से कश्मीर को अलग करना है हालांकि यह अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के विरुद्ध आतंकवादी गतिविधियों में भी शामिल समझे जाती हैं। इसकी स्थापना मसूद अज़हर नामक पाकिस्तानी पंजाबी नेता ने मार्च २००० में की थी। इसे भारत में हुए कई आतंकवादी हमलो के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है और जनवरी २००२ में इसे पाकिस्तान की सरकार ने भी प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद जैश-ए-मुहम्मद ने अपना नाम बदलकर 'ख़ुद्दाम उल-इस्लाम​' कर दिया। सुरक्षा विषयों के समीक्षक बी रामन ने इसे एक 'मुख्य आतंकवादी संगठन' बताया है और यह भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा जारी आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल है।

जैश-ए-मोहम्मद
جيش محمد
Leadersमसूद अज़हर
Dates of operation2000–present
HeadquartersBahawalpur, Pakistan
IdeologyDeobandi
Opponents India
Designated as a terrorist group by

जैश में फूट और पाकिस्तानी शहरों पर हमला

[1] जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा तो जनवरी 2002 में जैश पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन यह प्रतिबंध महज एक दिखावा था। जैश के आकाओं ने इसे नाम बदलकर अपना काम जारी रखने दिया। इसने नया नाम रख लिया खुद्दाम-उल-इस्लाम। उस पर भी पाकिस्तान सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। चूंकि 2002 में इसे गैरकानूनी संगठन करार दे दिया गया था तो जैश ने अल-रहमत ट्रास्ट नाम के चैरिटेबल ट्रस्ट की आड़ में अपना काम शुरू कर दिया। उसी समय जैश की अंदरुनी कलह की वजह से एक नया संगठन अस्तित्व में आया। उसका नाम था जमात-उल-फुरकान। अब्दुल जब्बार, उमर फारूक और अब्दुल्ला शाह मजहर ने इसकी नींव रखी। मसूद खुद्दाम-उल-इस्लाम की आड़ में जैश का संचालन करता रहा।

9/11(11 सितम्बर 2001 के हमले) के बाद आतंक के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुशर्रफ के शामिल होने के फैसले से जैश बौखला गया। अजहर ने मुशर्रफ के इस्तीफे की मांग की। इसके अलावा इस्लामाबाद, मरी, तक्षशिला और बहावलपुर में हमले कराए। नवंबर 2003 में पाकिस्तान ने हमलों के बाद खुद्दाम-उल-इस्लाम पर रोक लगा दी। इससे मसूद अजहर बौखला गया और मुशर्रफ के काफिले पर दो बार 14 दिसंबर और 25 दिसंबर, 2003 को हमला कराया। इसके बाद पाकिस्तान ने जैश पर सख्ती शुरू कर दी। हमले के आरोपियों को मुशर्रफ के दौर में ही फांसी दे दी गई। मसूद अजहर पर सख्ती की गई और उसे नजरबंद कर दिया।

जैश-ए-मुहम्मद से सम्बंधित कुछ घटनाएँ

  • दिसम्बर १९९९ में अपहरित भारतीय विमान आईसी ८१४ के यात्रियों को बचाने के लिए मसूद अज़हर को कन्दहार ले जाकर छोड़ दिया गया।
  • मार्च २००० में मसूद अज़हर ने हरकत-उल-मुजाहिदीन को बंटवाकर जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना करी। हरकत-उल-मुजाहिदीन के अधिकतर सदस्य जैश में शामिल हो गए।[2]
  • आरोप है कि दिसम्बर २००१ में जैश ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर नई दिल्ली में भारतीय संसद पर आत्मघाती हमला किया।[3]
  • आरोप है कि फ़रवरी २००२ में जैश ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल को गर्दन काटकर मार दिया।[4]
  • मई २००९ में जैश सदस्य होने का ढोंग कर रहे एक अमेरिकी पुलिसवाले ने चार लोगों को न्यू यार्क में एक सिनागोग (यहूदी मंदिर) उड़ाने और अमेरिकी सैनिक विमानों पर मिसाइल चलाने का षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ़्तार किया।
  • जैश ए मुहम्मद ने 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आत्मघाती हमला कराया,जिसमे 42 जवानों की मौके पर ही मौत हो गई।
  • पाकिस्तान में ये संगठन वहीं से सक्रिय है,जहाँ से उसकी आम जनता रोज सड़को पर आवागमन करती है।

सन्दर्भ

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