आप्रवासी घाट, मॉरीशस
आप्रवासी घाट (अंग्रेज़ी: द इम्मिग्रेशन डिपो) हिन्द महासागर में मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में स्थित एक इमारत परिसर है। यह भारत से लाये गए अनुबन्धित श्रमिकों एवं श्रम कर्मचारियों तथा गिरमिटिया मजदूरों का एक आव्रजन डिपो या केन्द्र था जो कालान्तर में एक ब्रिटिश उपनिवेश बन गया।[1] १८४९ से १९२३ के बीच लगभग ५ लाख से अधिक अनुबन्धित भारतीय अनुबन्धित श्रमिकों के रूप में इस इमिग्रेशन डिपो से गुजरे जिन्हें ब्रिटिश साम्राज्य भर में फ़ैले प्लान्टेशन्स में भेजा गया था। इस वृहत स्तर पर भेजे जा रहे श्रमिकों के आव्रजन से बहुत सी पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश के समाजों पर एक अमिट छाप छोड़ दी। इनमें अधिकांश संख्या भारतीयों की थी।[2] मात्र मॉरीशस में ही वर्अतमान कुल जनसंख्या का ६८% भारतीय मूल से ही है। इस प्लेरकार ये आप्रवास डिपो या घाट मॉरीशस की एक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पहचान बन गया है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल | |
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स्थान | पोर्ट लुई, मॉरीशस |
मानदंड | सांस्कृतिक: (vi) |
सन्दर्भ | 1227 |
शिलालेख | 2006 (30 सत्र) |
निर्देशांक | 20°09′31″S 57°30′11″E / 20.158611°S 57.503056°E |
नाम
[3]इसका वर्तमान नाम आप्रवासी घाट १९८७ से प्रयोग में आया है।[3] इसका अंग्रेज़ी रूपांतरण इमिग्रेशन डिपो है।[4] इसको घात इसलिये कहा गया क्यो कि ये भूमि एवं सागर जल के बीच का भाग है। पहले इसे कुलियों द्वारा प्रयोग किये जाने के कारण कुली घाट भी कहा जाता रहा है।[5][3]
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियां
साँचा:मॉरीशस