अहमद शाह मसूद
अहमद शाह मसूद (احمد شاه مسعود, Ahmad Shah Massoud, जन्म: १९५३, देहांत: २००१) अफ़ग़ानिस्तान के एक राजनैतिक और सैनिक नेता थे। १९७९ से १९८९ तक चलने वाले अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत युद्ध के दौरान वे सोवियत संघ के विरुद्ध लड़ने वाले एक मुख्य व्यक्ति थे और फिर बाद में वे कट्टरपंथी तालिबान के विरुद्ध लड़ने वाले गुटों के भी सरदार रहे।
अहमद शाह मसूद | |
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उपनाम | "Lion of Panjshir" (फ़ारसी: شیر پنجشیر) |
जन्म | 02 सितम्बर 1953 Bazarak, Panjshir, Afghanistan |
देहांत | सितम्बर 9, 2001 Takhar Province, अफ़गानिस्तान | (उम्र 48)
सेवा/शाखा | ![]() ![]() ![]() |
सेवा वर्ष | 1978–2001 |
उपाधि | कमांडर रक्षा मंत्री उपराष्ट्रपति |
नेतृत्व | अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध के दौरान प्रमुख मुजाहिदीन कमांडर अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री और यूनाइटेड इस्लामिक फ्रंट के तालिबान विरोधी कमांडर |
युद्ध/झड़पें | अफ़ग़ानिस्तान में सोवियत युद्ध अफ़गान गृह युद्ध † |
सम्मान | अफ़ग़ानिस्तान का राष्ट्रीय हीरो |
जीवनी
अहमद शाह मसूद एक ताजिक परिवार से आये सुन्नी मुस्लिम थे। उनकी पारिवारिक जड़े उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान की पंजशीर वादी में थीं। १९७० के दशक में उन्होंने काबुल विश्वविद्यालय में इंजिनीयरिंग की शिक्षा ली और वहाँ साम्यवाद (कोम्युनिस्ट) विरोधी संघों में भाग लेने लगे। जब १९७९ में सोवियत संघ ने अपनी फ़ौजें अफ़ग़ानिस्तान भेजीं तो उन्होंने उनके विरुद्ध अभियान चलाये। अपने ज़ोरदार सैनिक हमलों के लिए उन्हें 'पंजशीर का शेर' (शेर-ए-पंजशीर) के नाम से जाना जाने लगा। सोवियत सेनाओं के जाने के बाद १९९२ में 'पेशावर समझौते' के तहत उन्हें राष्ट्रीय रक्षा मंत्री नियुक्त किया गया।
जनवरी १९९५ में चरमपंथी तालिबान की फ़ौजों ने राजधानी काबुल को घेर लिया और १९९६ में तालिबान लगभग पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर हावी होकर शासन करने लगी। अहमद शाह मसूद ने तालिबान की कट्टरपंथी विचारधारा को ठुकरा कर उनके विरुद्ध हथियार उठा लिए। वे संयुक्त इस्लामी मोर्चे (United Islamic Front) के नेता बन गए जो 'उत्तरी मित्रपक्ष' (Northern Alliance) के नाम से भी जाना जाता था। ९ सितम्बर २००१ को अल-क़ायदा द्वारा रचित एक आत्मघाती बम-हमले में वे मारे गए।[1] इसके दो दिन बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में ११ सितम्बर २००१ के आतंकवादी हमले हुए जिसके बाद अमेरिका और उसके साथियों ने मसूद के मोर्चे के साथ मित्रता करके तालिबान को सत्ता से निकाल दिया।
अफ़ग़ान राष्ट्रपति हामिद करज़ई ने आदेश जारी करके अहमद शाह मसूद को 'राष्ट्रीय नायक' का ख़िताब दिया। उनकी पुण्यतिथि (९ सितम्बर) अफ़ग़ानिस्तान में 'मसूद दिवस' नाम की राष्ट्रीय छुट्टी है। उनके समर्थक उन्हें 'आमिर साहिब-ए-शहीद' के नाम से बुलाते हैं।[2]